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राजनाथ की चेतावनी, पीएम मोदी की सऊदी क्राउन प्रिंस से बात...लाल सागर में खुराफात पर भारत क्यों है लाल | Lal Sagar me Khurafat


नई दिल्ली
: गाजा में इजरायल-हमास युद्ध की आंच भारत तक महसूस की जाने लगी है। लाल सागर में हूती आतंकी जहाजों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले कर रहे हैं। भारतीय चालक दल वाले कुछ जहाज भी उनका निशाना बने हैं। लाल सागर और अरब सागर में भारतीय चालक दल वाले जहाजों पर ड्रोन हमलों को भारत ने काफी गंभीरता से लिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तो दो टूक कह दिया है कि जिन्होंने भी इन हमलों को अंजाम दिया है, उन्हें पाताल से भी ढूंढ निकाला जाएगा। उन्हें सबक सिखाया जाएगा। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की है। दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पर बात की। दोनों ने बातचीत में समुद्री सुरक्षा और जहाजों के मुक्त आवागमन की आजादी पर खास जोर दिया। पिछले हफ्ते पीएम मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच भी बात हुई थी। जहाजों पर हमले के मद्देनजर भारत ने समुद्र में पहरा भी बढ़ा दिया है।

हिमाकत की तो खैर नहीं

इस महीने भारतीय चालक दल वाले दो जहाजों पर ड्रोन हमले हुए हैं। गैबन का झंडा लगे जहाज पर दक्षिण लाल सागर में ड्रोन से हमला किया गया था। यह जहाज भारत की ओर आ रहा था। एमवी साई बाबा नाम के इस जहाज पर चालक दल के 25 सदस्य थे और सभी भारतीय थे। 19 दिसंबर को गुजरात तट के पास अरब सागर में 'चेम प्लूटो' नाम के जहाज पर इसी तरह ड्रोन अटैक हुआ था। यह जहाज सऊदी अरब से चला था। इन हमलों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमलावरों को पाताल से भी खोज निकाला जाएगा। व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन अटैक के बाद भारत ने समंदर में निगरानी और सुरक्षा बढ़ा दी है। समुद्री डाकुओं या आतंकियों के हमलों को काउंटर करने के लिए इंडियन नेवी ने 4 गाइडेड मिसाइल विध्वंसक (Guided Missile Destoyers) तैनात किए हैं। इनमें आईएनएस मोर्मुगाओ, आईएनएस कोच्चि और आईएनएस कोलकाता शामिल हैं। इसके अलावा P-81 एयरक्राफ्ट, सी गार्डियंस, हेलिकॉप्टर और कोस्ट गार्ड के जहाजों की संयुक्त तैनाती की गई है ताकि किसी भी खतरे से समय रहते निपटा जा सके।

हूती आतंकियों ने तेज किए लाल सागर में हमले

7 अक्टूबर को बर्बर आतंकी हमले के बाद इजरायल ने गाजा में हमास आतंकियों के खिलाफ आर-पार की जंग छेड़ रखी है। इस वजह से लाल सागर में हूती आतंकियों की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं। यमन में मौजूद ईरान समर्थित हूती आतंकियों ने लाल सागर से गुजर रहे जहाजों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले कर रहे हैं। उनकी मांग है कि गाजा में इजरायल तत्काल युद्ध रोके नहीं तो वे लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाते रहेंगे। अब तक हूती आतंकियों ने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए जहाजों पर तकरीबन 100 हमले किए हैं। इसमें 10 जहाज प्रभावित हुए हैं। आतंकियों के हमलों से ईस्ट-वेस्ट ट्रेड खासकर तेल का व्यापार प्रभावित हुआ है। बीपी, मोलर-मैयर्स्क और हैपाग-लॉयड जैसी कुछ बड़ी कंपनियां तो अनिश्चितकाल के लिए लाल सागर से होकर अपने ऑइल टैंकर के शिपमेंट को बंद कर दिया है। इससे शिपमेंट में काफी समय लग रहा है।

भारत के लिए क्यों इतना अहम है लाल सागर

लाल सागर की भौगोलिक स्थिति उसे व्यापारिक और रणनीतिक तौर पर काफी अहम बनाती है। ये मिस्र, सऊदी अरब, यमन, सूडान, इरीट्रिया और जिबूती से लगता है। उत्तर में स्वेज नहर के जरिए यह भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ है। स्वेज नहर दुनिया का सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग में से एक है। लाल सागर एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के देशों के बीच में स्थित है। यह मिडल ईस्ट को फार ईस्ट से तो अलग करता ही है, यूरोप और एशिया को भी अलग करता है। इसकी भूराजनीतिक स्थिति इस लिहाज से काफी अहम है कि ये अफ्रीका की पूर्वी तटीय सीमा और अरब प्रायद्वीप की पश्चिमी तटीय सीमा को निर्धारित करता है। लाल सागर बाब अल मंडेब जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी के जरिए दक्षिण में यह हिंद महासागर से जुड़ा हुआ है। कई अरब देशों के लिए पेट्रोलियम व्यापार का यही मुख्य रूट है। कुछ अरब देशों के कुल निर्यात का 90 से 100 प्रतिशत तक इसी रूट से होता है। जॉर्डन, जिबूती और सूडान के लिए तो समुद्री परिवहन का यही एक मात्र जरिया है। ये सबकुछ लाल सागर को भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण बनाता है। लाल सागर के जरिए यूरोप से भारत तक शिपमेंट में आम तौर पर 24 दिन लगते हैं। लेकिन अगर शिपमेंट केप ऑफ गुड होप के जरिए हो तो इसमें 38 दिन तक लग जाते हैं। यही वजह है कि जहाजों पर हमले को भारत ने काफी गंभीरता से लिया है और समुद्री सुरक्षा को अभेद्य बनाने की तैयारी कर रहा है।

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