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Ram Mandir: 70 एकड़ में बन रहा है राम मंदिर, ग्राउंड फ्लोर तैयार; चंपत राय ने दिखाया मंदिर का नक्शा


नई दिल्ली।
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होनी है। उससे पहले मंदिर में तैयारियां जोरों पर है। बुधवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मानचित्र का वर्णन किया।

उन्होंने वीडियो के माध्यम से पूरे मंदिर का नक्शा पेश किया। चंपत राय ने बताया- "मंदिर का निर्माण 70 एकड़ भूमि के उत्तरी भाग पर किया जा रहा है। यहां तीन मंजिला मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर के भूतल का काम पूरा हो चुका है, पहली मंजिल निर्माणाधीन है।"

मंदिर की विशिष्टताएं

राम मंदिर भव्यता के साथ भारतीय परंपरा एवं तकनीक का भी पर्याय है। यह जानकारी रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने दी। वह रामजन्मभूमि परिसर के ही निकट स्थित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भवन में संवाददाताओं से वार्ता करते हुए राम मंदिर की विशिष्टताएं गिना रहे थे। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और नींव के ऊपर कंक्रीट का भी प्रयोग नहीं किया गया गया है।

निर्माण की तकनीक की विशिष्टता नींव से ही निहित है। मंदिर की नींव चार सौ फीट लंबे एवं तीन सौ फीट चौड़े विशाल भूक्षेत्र पर मोटी रोलर कांपेक्टेड कंक्रीट की 14 मीटर मोटी कृत्रिम चट्टान ढाल कर की गई है। मंदिर की प्लिंथ 380 फीट लंबी एवं 250 फीट चौड़ी है तथा मंदिर के मुख्य शिखर की ऊंचाई 161 फीट है।

मंदिर में कीर्तन मंडप के रूप में होंगे पांच मंडप

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने मंदिर निर्माण से जुड़ी अन्य मौलिक जानकारी भी साझा की। मंदिर में नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना एवं कीर्तन मंडप के रूप में पांच मंडप होंगे। मंदिर की प्लिंथ तक पहुंचने के लिए 32 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। मंदिर के चारो ओर आयताकार परकोटा है, जिसकी लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है।

परकोटा के चारो कोनों पर भगवान सूर्य, मां भगवती, गणपति एवं भगवान शिव के सहित परकोटा में ही वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी एवं देवी अहिल्या का भी मंदिर निर्मित होना है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने रामजन्मभूमि मुक्ति संघर्ष के संक्षिप्त इतिहास का भी विवेचन किया।

बताया कि भव्य राम मंदिर 492 वर्ष के सुदीर्घ संघर्ष और 37 वर्ष के सतत जागरण से संभावित हुआ है। उन्होंने रामजन्मभूमि मुक्ति के लिए ग्राउंड पैनीट्रेंटिंग रडार सर्वे का भी स्मरण कराया। बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर 2003 में इस सर्वे से तय हुआ कि 1528 से पूर्व सतह के नीचे हिंदू भवन था। इसी सर्वे के बाद एएसआइ ने उत्खनन कराया और इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि विवादित भूमि की सतह के नीचे उत्तर भारतीय शैली का मंदिर था।

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