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चीन दुश्मन नहीं, दोस्त है... भारत-अमेरिका 2+2 बातचीत पर बिलबिलाया ग्लोबल टाइम्स, उगला जहर


Foreign Desk:
भारत और अमेरिका के बीच इस वक्त नई दिल्ली में 2+2 बातचीत हो रही है। इसमें दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री अपने-अपने समकक्षों के साथ कई मुद्दों पर बात कर रहे हैं। इसे भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते संबंधों के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन, भारत और अमेरिका के बीच ऐसी बातचीत चीन को रास नहीं आ रही है। यही कारण है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने इस बैठक को लेकर भारत और अमेरिका के खिलाफ जमकर जहर उगला है। ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में दावा किया है कि अमेरिका चीन विरोधी शत्रुता के अपने चरम पर भारत और खास तौर पर भारतीय सेना को अमेरिका के दायरे में बांधने की की कोशिश करने के लिए बेताब है।

भारत-अमेरिका सैन्य समझौते से चीन को जलन

सूचो विश्वविद्यालय में मानद प्रोफेसर और सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर गाओ ने ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते कई मोर्चों पर लगातार मजबूत हुए हैं। अमेरिका और भारत ने एक सैन्य रसद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका अर्थ है कि अमेरिका किसी भी समय भारत में अपनी सैन्य शक्तियों को तैनात करने के लिए भारत के समुद्री बंदरगाहों, हवाई अड्डों या अन्य सैन्य सुविधाओं का उपयोग कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी और भारतीय सेनाओं ने पहले से ही उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक साथ सैन्य आक्रामक रणनीति अपनाई है।

चीन के वैध अधिकारों का राग अलापा

विक्टर गाओ ने कहा कि अगर भारत-अमेरिका सहयोग से किसी तीसरे देश के वैध अधिकारों को खतरा नहीं है, तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। हालांकि, अगर भारत-अमेरिका सहयोग, विशेष रूप से सैन्य और सुरक्षा पक्षों पर, चीन जैसे तीसरे देश के वैध हितों के लिए खतरा पैदा करेगा, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर वाशिंगटन में कोई वास्तव में विश्वास करता है कि वे भारत को मना सकते हैं और भारत को अमेरिका के बंधन में बांध सकते हैं, तो उनका यह विश्वास झटके में टूट सकता है और इसका परिणाम सिर्फ विनाश ही होगा।

'चीन, भारत को दुश्मन के तौर पर नहीं देखता'

गाओ ने अपने लेख में दावा किया कि चीन, भारत को दुश्मन के तौर पर नहीं देखता। चीन, भारत को समान शर्तों पर निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश के रूप में देखता है। चीन और भारत के बीच मतभेदों को संभालने का यही सही तरीका है। चीन और भारत के बीच बड़ी प्रवृत्ति एक-दूसरे के साथ पड़ोसी देशों और साझेदारों के रूप में व्यवहार करने की होनी चाहिए जो एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सकें। यही कारण है कि मैं चीन और भारत के बीच शांति का आह्वान करता हूं। मैं भारत में किसी से भी आग्रह करूंगा कि वे चीन को दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी के रूप में न देखें और भारत को चीन के खिलाफ सैन्य टकराव में शामिल होने से बचना चाहिए।

अमेरिका पर जमकर साधा निशाना

उन्होंने अमेरिका पर हमेशा शीत युद्ध की मानसिकता से ग्रसित रहने और एक की जीत में दूसरे के हार का मजा लेने का आरोप लगाया। हालांकि, गाओ ने कहा कि भारत में लोग और भारत सरकार अपनी स्वतंत्रता बनाए रखना चाहते हैं। नई दिल्ली ने विभिन्न देशों के साथ दीर्घकालिक संबंधों को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया है, जिनमें वाशिंगटन द्वारा दुश्मन समझे जाने वाले देश भी शामिल हैं। इसलिए, अमेरिका और भारत की एक दूसरे के लिए पूरी तरह से अलग गणना है।

भारत के लिए चीन के महत्व पर दिया 'ज्ञान'

गाओ ने कहा कि भारत को अंततः इस तथ्य से सहमत होना होगा कि चीन एक अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है। अब, चीनी अर्थव्यवस्था का आकार भारत से लगभग छह गुना है। डेंग जियाओपिंग ने एक बार कहा था, "विकास कठिन सत्य है।" यह चीन के लिए सच है। यह भारत के लिए भी सच है। यदि भारत वास्तव में विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, तो चीन बहुत मददगार हो सकता है। सीमा विवादों से जुड़ी सभी कठिनाइयों के बावजूद, चीन और भारत अंततः एक-दूसरे के साथ साझेदार और पड़ोसी देशों के रूप में व्यवहार करेंगे, न कि अपना विवेक खोकर एक-दूसरे के साथ प्रतिद्वंद्वियों के रूप में निपटेंगे।

चीन को दुनिया के लिए बताया महत्वपूर्ण योगदानकर्ता

उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत दोनों को यह एहसास होना चाहिए कि चीन न तो अमेरिका का दुश्मन है और न ही भारत का दुश्मन है। चीन भलाई के लिए एक शक्ति, शांति के लिए एक शक्ति और विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। यदि अमेरिका वास्तव में मजबूत आर्थिक विकास का आनंद लेना चाहता है, तो वह चीन के बिना ऐसा नहीं कर सकता। यदि भारत वास्तव में आधुनिकीकरण, शहरीकरण और औद्योगीकरण का स्तर हासिल करना चाहता है, तो वह चीन के बिना ऐसा नहीं कर सकता। चीन और भारत ऐसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश हैं। हिमालय हमें विभाजित नहीं करना चाहिए। हिमालय वह होना चाहिए जो हमें एकजुट करे।

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