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सपा नहीं चाहती I.N.D.I.A अलायंस में BSP की एंट्री, सामने आई ये वजह, क्या अखिलेश को मनाएगी कांग्रेस?

 


लोकसभा चुनाव के लिए अब तीन महीने से भी कम का वक्त बचा है. इस बीच I.N.D.I.A. अलायंस के लिए उत्तर प्रदेश में राह आसान नहीं दिख रही है. वजह है बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच की उलझन. एक ओर जहां कांग्रेस की ओर से बसपा को इंडिया अलायंस में लाने की कोशिशें जारी हैं तो वहीं सपा ने मायावती की पार्टी के गठबंधन में न आने पर वीटो लगा दिया है.

कांग्रेस के लिए भी यूपी में बड़ी असहज स्थिति है. एक ओर जहां कांग्रेस नेता चाहते हैं कि बसपा इंडिया अलायंस में आएं वहीं गठबंधन में शामिल अन्य दल सपा और उसके साथ-साथ राष्ट्रीय लोकदल भी चाहती है कि बीएसपी शामिल न हो.

यह बात स्पष्ट है अभी तक न तो बसपा को इंडिया अलायंस में शामिल होने के लिए औपचारिक न्योता दिया गया है और न ही मायावती ने गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए कोई संकेत दिए हैं. हालांकि बीते दिनों एक प्रेस वार्ता में विपक्षी दलों के साथ-साथ अपने सहयोगियों को भी संकेत दिए थे कि कोई भी विवादित बयान न दें ताकि भविष्य में अगर किसी को किसी की जरूरत पड़े तो कोई शर्मिंदगी न हो. 

मायावती ने दिया था ये बयान

मायावती ने कहा था-  जहां तक विपक्ष के गठबंधन में बीएसपी सहित अन्य जो पार्टियां शामिल नहीं हैं, उनके बारे में किसी को बेफिजूल भी टीका टिप्पणी करना उचित नहीं है. क्योंकि भविष्य में देश व जनहि में कब किसको किसी की भी जरूरत पड़ जाए, यह कुछ भी कहा नहीं जा सकता है और तब उन्हें शर्मिंदगी न उठानी पड़े. हालांकि इस मामले में खासकर समाजवादी पार्टी इस बात का जीता जागता उदाहरण है.

इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि आखिर सपा क्यों नहीं चाहती की बसपा साथ आए? उसके नेता साल 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के हवाले से बसपा की वकालत नहीं करते. उनका कहना है कि बसपा या तो अपने वोट गठबंधन के अन्य सहयोगियों को ट्रांसफर नहीं कराती या करा नहीं पाती. इतना ही नहीं सपाई, बसपा पर यह भी आरोप लगाते हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी के करीब है.

सपा महासचिव और अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव कई मौकों पर यह बात स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर बसपा, बीजेपी से दूरी बना ले तो उसे इंडिया अलायंस करने पर विचार हो सकता है.

दूसरी ओर गठबंधन में सपा के साथ राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद, रालोद,टीएमसी और जदयू हैं. ऐसे में गठबंधन में बसपा की एंट्री को लेकर सपा का पलड़ा भारी लग रहा है. दूसरी ओर बसपा सुप्रीमो के बीते बयान से यह संकेत मिल रहे हैं कि इंडिया अलायंस के लिए उनके दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. हालांकि बात किस मोड़ पर खत्म होगी, यह कह पाना अभी मुश्किल है.

कांग्रेस, अखिलेश यादव और सपा को मनाएगी?

इसके अलावा अगर मतदाता वार देखें तो यूपी के संदर्भ में दावा किया जाता है कि राज्य में करीब 22 फीसदी आबादी दलित है, जिसे बसपा का वोटबैंक माना जाता रहा है. साल 2017 में यूपी सरकार में आई बीजेपी ने अपनी योजनाओं के जरिए इस वोटबैंक में अलग लाभार्थी वर्ग बनाया जिससे बसपा को ठीक ठाक नुकसान हुआ. लेकिन इस 22 फीसदी में भी 12 फीसदी जाटव आबादी अभी भी बसपा के साथ पूरी तरह से है.

इसके साथ ही ठीक-ठाक संख्या में मुस्लिम वोटर्स भी बसपा के साथ हैं. ऐसे में इंडिया अलायंस बसपा को साथ लाना चाहता है. अगर बसपा अकेले चुनाव लड़ी तो वह निश्चित तौर पर अलायंस के लिए नुकसान की बात होगी.

सूत्रों का दावा है कि बीते दिनों जब कांग्रेस आलाकमान और यूपी कांग्रेस के नेताओं के बीच वार्ता हुई थी, तब भी बसपा को साथ लाने की जमकर वकालत हुई थी. कई नेता बसपा के साथ अलायंस के पक्ष में थे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बसपा को यूपी में साथ लाने के लिए कांग्रेस, अखिलेश यादव और सपा को मनाएगी?

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