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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मोदी का यम नियम आखिर कैसा है, जानें यम नियम होता क्या है


 22 जनवरी को भगवान रामलला की मूर्ति की स्थापना अयोध्या में होने वाली है। पूरा देश इस बात को लेकर उत्सव मना रहा है। मूर्ति की स्थापना के मुख्य यजमान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहेंगे। शास्त्रों में नियम है कि मूर्ति की स्थापना के लिए जो यजमान होते हैं उन्हें मूर्ति की स्थापना से कुछ दिन पहले से ही कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता जिससे तन मन की पवित्रता और शुचिता बनी रहे जिसे यम नियम कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यम नियम का संकल्प लिया है और वह 12 तारीख से 11 दिनों के लिए यम नियम का पालन कर रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर ऐसा कौन सा यम नियम है जिसका पालन देश के प्रधानमंत्री रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए कर रहे हैं।

सद्गुरुश्री आनंद जौहरी बताते हैं कि यम नियम का मतलब बहुत ही व्यापक है। यम का मतलब होता है संयम और नियम का अर्थ है अनुशासन जो अष्टांग योग का अंग है। योग का मूल लक्ष्य है समाधि में जाना यानी ब्रह्म में समाना। ध्यान का मतलब है देखना यानी ब्रह्म में मन लगाना और ब्रह्म का चिंतन करना है और दूसरा इसका भाग है भजन यानी ईश्वर को भजना। वैसे अष्टांग योग के आठ भाग हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान भजन और समाधि। इन सभी का मतलब है कि अपने आप को जगत के हटाकर प्रभु की ओर मन लगाना है।

वैसे आपको बता दें कि बहुत से लोग यम नियम के रूप में बौद्ध धर्म के पांच सिद्धांतों को ही यम नियम बताते हैं-अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। देश के प्रधानमंत्री का रामलला की मूर्ति की स्थापना के लिए यह व्रत और संकल्प जगत के कल्याण के लिए है जिसके लिए प्रधानमंत्री 22 तारीख तक प्रभु में ध्यान लगाते हुए राष्ट्र कल्याण के कार्य को संपन्न करेंगे।

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