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भारत के बाद पाकिस्तानी युद्धपोतों की अरब सागर में तैनाती, हूति विद्रोहियों को लेकर पाक नौसेना ने क्या कहा? | Arab Sagar


Foreign Desk
. लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले से पूरी दुनिया चिंतित है। पिछले कुछ दिनों में हूती विद्रोहियों ने कई व्यापारी जहाज को निशाना बनाया। इसी बीच पाकिस्तान ने भी अरब सागर में अपने युद्धपोतों को तैनात किया है।

व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने उठाया कदम

पाकिस्तानी नौसेना ने जानकारी दी कि पाकिस्तान के व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लगातार अरब में गश्त कर रहे हैं। पाकिस्तानी नौसेना ने कहा है कि अरब सागर में युद्धपोत तैनात करने का पाकिस्तान का फैसला अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अपनी समुद्री सुरक्षा बनाए रखने के लिए है। 

वहीं पाकिस्तान नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि हूति विद्रोहियों के खिलाफ किसी देश की मदद के लिए युद्दपोत तैनात नहीं किए गए हैं। बता दें कि हूति विद्रोहियों का ईरान का समर्थन मिलता आया है। वहीं, ईरान गाजा में मौजूद फलस्तीनियों का समर्थन करता आया है। 

अमेरिका ने हूति विद्रोहियों को सैन्य कार्रवाई की चेतावनी

हूति विद्रोहियों से मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने कई देशों के साथ हाथ मिलाया। वहीं, अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाज को निशाना बनाना बंद नहीं किया तो वे सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

कुछ दिनों पहले उत्तरी अरब सागर में समुद्री डाकुओं ने एमवी लीला नॉरफॉक को अपहरण करने की कोशिश की। इस जहाज में 21 लोग सवार थे, जिसमें 15 भारतीय थे। भारतीय नौसेना ने बहादुरी दिखाकर डाकुओं की नापाक हरकत को नाकाम कर दिया था।

बता दें कि भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी निगरानी बढ़ा दी है। मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक भारत ने दस युद्धपोत तैनात किए हैं।

लाग सागर में कंटेनर को सुरक्षा कर रहा भारत 

बताते चलें कि भारत का रक्षा मंत्रालय लाल सागर के आसपास के समुद्र में भारतीय कंटेनर जहाजों को सुरक्षात्मक एस्कॉर्ट मुहैया कर रहा है। इस पूरे क्षेत्र में कंटेनर जहाजों की सुरक्षा को लगातार खतरा बना हुआ है। यह जानकारी एक सरकारी सूत्र ने दी है।

एक सरकारी अधिकारी ने जानकारी दी कि अफ्रीका के चारों ओर लंबा समुद्री मार्ग अपनाने की वजह से कंटेनरों को अपने टर्नअराउंड समय में 14 दिनों की देरी का सामना करना पड़ सकता है। इससे परिवहन और बीमा लागत बढ़ रही है।

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