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कौन है महेश्वर पेरी जो विवेक बिंद्रा को कर रहे चैलेंज, IIPM वाले अरिंदम की बंद करवा चुके हैं 'दुकान'

 


सोशल मीडिया पर दो मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर और यूट्यूबर की लड़ाई चर्चा में हैं। मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने एंट्रेप्रेन्योर विवेक बिंद्रा पर घोटाले का आरोप लगाया है। दूसरी तरफ विवेक बिंद्रा की तरफ से इसका पलटवार वाला वीडियो भी आया है। इस बीच विवेक बिंद्रा के खिलाफ अब करियर 360 के फाउंडर महेश्वर पेरी सामने आए हैं। महेश्वर पेरी ने विवेक बिंद्रा के खिलाफ संदीप माहेश्वरी के घोटाले के दावों पर अपनी बात रखी है। पेरी का कहना है कि इस पूरे मामले में पर उनकी नजर 10 दिन में एमबीए कोर्स के जरिये गई। पेरी ने इस कोर्स को पूरी तरह से गैरकानूनी बताया है। ऐसे में बिंद्रा से जुड़े जब 10 दिन के एमबीए कोर्स पर नजर गई तो उन्होंने इसके बारे में रिसर्च की।

विवेक बिंद्रा की कंपनी पर रिसर्च

एजुकेशन प्लेटफॉर्म से जुड़े होने के नाते महेश्वर ने विवेक बिंद्रा की कंपनी की वेबसाइट पर जाकर बैलेंसशीट डाउनलोड कर डेटा को चेक किया। बैलेंस शीट का डेटा देखते ही महेश्वर पेरी का सिर ही घूम गया। एक साल में 172 करोड़ का रेवेन्यू था। दो साल में 308 करोड़ का रेवेन्यू था। इसमें 225 करोड़ फ्रेंचाइजी फीस थी। इसका कनेक्शन मल्टी लेवल मार्केटिंग से था। इसके बाद उन्होंने विवेक बिंद्रा के डॉक्टरेट के बारे में भी रिसर्च किया। इसके बाद उन्होंने विवेक बिंद्रा के हर महीने 1 लाख से 20 लाख तक के दावे वाले वीडियो को भी देखा। महेश्वर पेरी का कहना है कि यदि वे इतने करोड़ रुपये कमा रहे हैं तो अपने कर्मचारियों को इतनी कम सैलरी कम दे रहे हैं। ऐसे में इतना तो तय है कि इसमें कुछ तो गड़बड़ है। महेश्वर पेरी का दावा है कि विवेक बिंद्रा ने लाखों बच्चों के साथ चीटिंग की है।

आईआईपीएम की खोली थी पोल

महेश्वर पेरी वो शख्स हैं जिन्होंने दो दशक पहले आईआईपीएम और अरिंदम चौधरी के कथित धोखाधड़ी को दुनिया के सामने रखा था। उन्होंने आईआईपीएम बिजनेस स्कूल की रैंकिंग में डेटा में और प्लेसमेंट रिकॉर्ड में गड़बड़ी का खुलासा किया। इसके बाद आईआईपीएम कॉलेज को बिजनेस स्कूल रैंकिंग में शामिल करने को लेकर ब्लैकलिस्ट कर दिया था। 2005 में आउटलुक मैगजीन ने आईआईपीएम को सर्वे से बाहर कर दिया था। 2008 में, पेरी ने आउटलुक में एक कॉलम लिखा था। इस कॉलम में बताया गया था कि कैसे शिक्षा का व्यवसाय छात्रों के लिए जहरीला होता जा रहा है। बिजनेस कॉलेज गलत डेटा रख रहे हैं। साथ ही फर्जी विदेशी गठजोड़ कर रहे हैं। उन्होंने आईआईपीएम का भी जिक्र किया था। इस आर्टिकल के बाद उन्होंने एक और कॉलम लिखा। पेरी के अनुसार समस्या केवल एक संस्थान तक ही सीमित नहीं थी। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि वे किसी भी एक संस्थान के खिलाफ नहीं लिखेंगे। कॉलम प्रकाशित होने के बाद, 11-12 संस्थानों ने फोन कर इस पर अपना विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद आईआईपीएम के साथ 6 साल लंबी कानूनी लड़ाई चली। आखिरकार, आईआईपीएम के अरिंदम चौधरी ने साल 2014 में अपने केस वापस ले लिए। विभिन्न अदालतों के अपने विरोध में फैसलों के बाद साल 2015 में आईआईपीएम के सभी कैंपस को बंद करने का फैसला लिया।


सरकारी स्कूल से पढ़ाई

महेश्वर पेरी का जन्म अगस्त 1969 में आंध्र प्रदेश के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। महेश्वर ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। वे पांच साल तक हॉस्टल में भी रहे। महेश्वर पेरी का कहना है कि मेरी पढ़ाई का पैसा पूरी तरह से आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से दिया जा रहा था। मेरा हॉस्टल पूरी तरह से सरकारी फंड से चलता था। महेश्वर का कहना है कि इंटरमीडिएट से ग्रेजुएशन तक के पांच वर्षों में उन्होंने सबसे गरीब लोगों को देखा। उन्हें 10 दिन की छुट्टी मिलती थी लेकिन वे घर नहीं जा सकते थे। इसकी वजह थी कि उनके पास घर जाने के भी पैसे नहीं होते थे।

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