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प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल को EC का नोटिस: आरोप साबित हुआ तो किस तरह की कार्रवाई होगी?


चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी पर गलत टिप्पणी करने के आरोप में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेजा है. आयोग ने दोनों नेताओं से पूछा है कि आखिर उन्होंने प्रचार के दौरान लोगों को गुमराह क्यों किया? दोनों नेताओं को 16 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा गया है. 

2-2 पन्ने के नोटिस में चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल और प्रियंका गांधी से पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के तहत कार्रवाई की जाए?

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक चुनाव आयोग ने बीजेपी की शिकायत पर यह नोटिस जारी किया है. 10 नवंबर को बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से प्रियंका और केजरीवाल की शिकायत की थी. 

बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि पीएम मोदी के नाम पर प्रियंका लोगों को गुमराह कर रही है, जो चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन है. 

बीजेपी ने अपनी दूसरी शिकायत में कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल से आपत्तिजनक ट्वीट किए गए, जिससे चुनावी वक्त में उनकी छवि धूमिल हुई.

आदर्श आचार संहिता क्या है?

चुनाव व्यवस्था को सही तरीके से संचालन करने के लिए आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसे आदर्श आचार संहिता कहा जाता है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में मिली शक्ति का उपयोग करते हुए आयोग इस नियम का अनुपालन कराता है. 

भारत में सबसे पहले 1960 में केरल के चुनाव में आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया कि क्या करें और क्या न करें. वर्तमान में चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता को 8 भागों में नियम बनाए हैं.

इसके पहले भाग में ही चुनाव के दौरान नेताओं को किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, उसके बारे में बताया गया है. इस भाग को आयोग ने  सामान्य आचरण करार दिया है.

सामान्य आचरण के नियम- 2 में कहा गया है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की आलोचना सिर्फ उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित रहेगी.

इसमें आगे कहा गया है कि पार्टियों और उम्मीदवारों को निजी जीवन के उन सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए जो अन्य पार्टियों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं हैं. 

साथ ही प्रचार के दौरान नेताओं को असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए.

नोटिस के बाद अब आगे क्या होगा?

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक नोटिस का जवाब आने के बाद आदर्श आचार संहिता की टीम उसका मूल्यांकन करेगी. इसके बाद उस रिपोर्ट को मुख्य चुनाव आयुक्त के पास भेजा जाएगा.

रिपोर्ट आने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्त पर बैठक करेंगे. इस बैठक में जवाब और सवाल को विस्तार से जांचा जाएगा. अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो कार्रवाई पर चर्चा होगी, नहीं तो मामले को खारिज कर दिया जाएगा. 

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक आरोप सही होने पर क्या कार्रवाई हो, इसको लेकर भी तीनों आयुक्तों में चर्चा होती है. कई बार तीनों में सहमति नहीं बनती है, तो वोटिंग जैसा माहौल भी बन जाता है. आखिरी फैसला वोटिंग के आधार पर ही लिया जाता है. 

किस तरह की कार्रवाई हो सकती है?

बड़ा सवाल यही है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ टिप्पणी मामले में अगर प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल पर आरोप साबित होते हैं, तो इन दोनों के ऊपर किस तरह की कार्रवाई चुनाव आयोग कर सकती है?

सुप्रीम कोर्ट में वकील ध्रुव गुप्ता कहते हैं- चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन मामले में आयोग 2 तरह से कार्रवाई करती है. पहला, मामला अगर गंभीर नहीं होता है, तो खुद कार्रवाई करती है.

गुप्ता आगे कहते हैं- मामला अगर गंभीर रहता है, तो आयोग पुलिस में भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज करवाती है. फिर उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई होती है. 

चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं- यह मामला गंभीर नहीं है, इसलिए आयोग अपने स्तर पर ही कार्रवाई कर सकती है. क्या कार्रवाई होगी, यह तो आयुक्त ही तय करते हैं. 

आमतौर पर चुनाव आयोग इस तरह के मामले में कुछ दिनों के लिए स्टार कैंपेनर के प्रचार करने पर रोक लगा देती है. कई बार मामला गंभीर नहीं होने पर चेतावनी देकर छोड़ देती है. हालांकि, आयोग की इस तरह की कार्रवाई पर कई बार सवाल उठा है. 

जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी मामले में प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल को 16 नवंबर तक जवाब देना है. यानी मध्य प्रदेश में तब तक चुनाव प्रचार थम जाएगा. आगे अगर कोई कार्रवाई होती है, तो इसका असर राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव में देखने को मिल सकता है.

यानी अगर चुनाव आयोग दोनों के कैंपेन पर रोक लगाती है, तो प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव में प्रचार नहीं कर पाएंगे.

रिटर्निंग ऑफिसर की रिपोर्ट महत्वपूर्ण

मध्य प्रदेश चुनाव आयोग से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं- किसी रैली में की गई टिप्पणी के मामले में जब कोई कार्रवाई होती है, तो उसमें लोकल रिटर्निंग ऑफिसर की रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. 

वे कहते हैं- रिटर्निंग ऑफिसर नेताओं की हर रैली में अपने एफएसएल टीम को भेजते हैं. इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग मुख्यालय भेजा जाता है. अगर उस रिपोर्ट में कार्रवाई की सिफारिश नहीं होती है, तो कोई एक्शन नहीं लिया जाता है. 

नोटिस पर कांग्रेस उठा रही है सवाल

प्रियंका गांधी और अरविंद केजरीवाल को चुनाव आयोग द्वारा नोटिस भेजे जाने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने टिप्पणी की है. सरमा ने कहा है कि आयोग से हम लोगों ने शिकायत की थी और अब आयोग ही इस पर कार्रवाई करेगी.

वहीं प्रियंका गांधी को चुनाव आयोग से नोटिस मिलने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहते हैं, 'यह किसी के प्रेशर में भेजा गया नोटिस है. हम इसका जवाब देंगे.'

राजपूत आगे कहते हैं- प्रियंका गांधी मामले में तुरंत नोटिस भेजने वाला चुनाव आयोग मंत्री के बेटे के वीडियो पर चुप क्यों है? चुनाव के समय लाखों-करोड़ों रुपए के डील का क्या मामला है, इसकी जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है?

राजपूत के मुताबिक विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई करने में चुनाव आयोग हमेशा आगे रहती है. मध्य प्रदेश और पूरे देश की जनता यह समझती है और इसका जवाब देगी. 

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