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नेपाल में भूकंप के बीच 6 लाख लोगों के मरने की भविष्यवाणी क्या है?

 


शुक्रवार यानी 3 नवंबर की रात को नेपाल में आए तेज भूकंप में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और लगभग 140 लोग घायल हुए हैं. 6.4 तीव्रता से आए इस भूकंप का केंद्र अयोध्या से लगभग 227 किलोमीटर उत्तर और काठमांडू से 331 किलोमीटर पश्चिम उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में था.

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की मानें तो 3 नवंबर को आए भूकंप के बाद शनिवार सुबह तक 4 तीव्रता से ज्यादा के तीन झटके और 35 से ज्यादा छोटे झटके महसूस किए गए है. 

इस भूकंप की चपेट में आए लोगों और क्षतिग्रस्त हुए मकानों ने न सिर्फ विश्लेषकों का ध्यान पश्चिमी नेपाल की तरफ खींचा है बल्कि लोगों को साल 2015 में आए भूकंप का वह मंजर भी याद दिला दिया, जिसमें करीब 9000 लोगों की मौत हो गयी थी.

इसके अलावा इस भूकंप ने जियो साइंस वर्ल्ड रिसर्च की उस भविष्यवाणी की भी याद दिला दी है जिसमें आने वाले सालों में नेपाल में सन् 1505 जैसे भूकंप आने की आशंका जताई गई है. इस रिसर्च के अनुसार अगर नेपाल में सन् 1505 जैसा भूकंप आता है तो ये रिक्टर स्केल के 8.6 या 8.7 की तीव्रता से आएगा और इसमें 6 लाख लोगों की जान जा सकती है और लगभग 1 मिलियन लोग घायल हो सकते हैं.  

पिछले कुछ महीनों में नेपाल में बढ़े हैं भूकंप के झटके

शुक्रवार को आए भूकंप ने भले ही पूरे देश को दहशत में डाल दिया हो लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि पिछले कुछ महीनों के अंदर इस देश में आए भूकंप की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. 

पिछले महीने यानी 22 अक्टूबर को आए झटके का केंद्र भी नेपाल ही था. इस दिन नेपाल में भूकंप के 4 झटके आए थे. पहला झटका सुबह 7:39 मिनट पर आया था. जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई. 

दूसरे झटके की तीव्रता 4.2 बताई गई थी और ये सुबह के ही 8:08 मिनट पर आया था. तीसरा झटका आधे घंटे बाद यानी सुबह के 8:28 बजे महसूस किया गया था और इसकी तीव्रता 4.3 थी. वहीं इस दिन चौथी बार भूकंप का झटका 8:59 मिनट पर महसूस किया गया था.

लगातार आ रहे भूकंप के क्या है मायने 

वैज्ञानिक अध्ययनों की मानें तो जिन इलाकों में 500 साल पहले बहुत भयानक भूकंप आया हो, उन इलाकों में 8 या उससे भी ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आने का खतरा होता है. पश्चिमी नेपाल की सतह के नीचे 500 सालों से भूकंपीय ऊर्जा इकट्ठा हो रही है. इतने सालों से जमा हुई भूकंपीय ऊर्जा की शक्ति इतनी ज्यादा है कि इससे रिक्टर स्केल पर आठ या उससे भी ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है और अगर ऐसा होता है तो ये झटका पूरे इलाके में तबाही लाने के लिए काफी है. 

पश्चिमी नेपाल में भीषण भूकंप का खतरा क्यों?

बीबीसी की एक रिपोर्ट में नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ प्रभागीय भूकंप विज्ञानी लोकविजय अधिकारी इसी सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों से पश्चिम नेपाल में भूकंप आने की संख्या बढ़ी है. अगर किसी इलाके में रोजाना छोटे और कभी-कभी मध्यम भूकंप आते हैं तो इससे पता चलता है कि उन इलाकों में भूकंपीय खतरा मौजूद है.

उन्होंने कहा, '' कुछ अंतराल के बाद हो रहे झटकों का मतलब है कि उस इलाके में भूकंपीय शक्ति जमा हो रही है और आगे जाकर इन्ही इलाकों में बड़ा भूकंप भी आ सकता है. "

विशेषज्ञों के अनुसार नेपाल में हो रहे ये भूंकप दो महाद्वीपीय प्लेटों भारत और यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराने का नतीजा है. आसान भाषा में समझे तो पृथ्वी की सतह के नीचे की भारतीय प्लेट हर साल दो सेंटीमीटर की दर से उत्तर की तरफ यान यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही है. 

ये भारतीय प्लेट बढ़कर तिब्बती पठार के नीचे की तरफ रास्ता बनाती है और हर साल होने वाले खिसकाव भूकंप को ट्रिगर करता है.जिससे हिमालय क्षेत्र में भूकंपीय दरार पैदा हो रही हैं.

भविष्य में आने वाले किसी भी भूकंप के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट

भूकंप विज्ञानी रॉजर बिलहम जिन्होंने साल 2017 में नेपाल भूकंप पर स्टडी की थी. उन्होंने कहा था कि फिलहाल ये तो कोई नहीं कह सकता कि आगे क्या होगा. हम भविष्य में किसी भी भूकंप के बारे में सटीकता से जानकारी नहीं दे सकते. हो सकता है ये मेगा भूकंप आने वाले हफ्तों में ही दिख जाए, या फिर ये भी हो सकता है कि ऐसा कुछ 5 शताब्दी तक भी न हों.” 

वहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट में इसी सवाल के जवाब में भू विज्ञानी प्रोफेसर डॉ. विशालनाथ उप्रेती कहते हैं कि पश्चिम नेपाल के क्षेत्रों में जमा हुई भूकंपीय शक्ति की वजह से 1505 में नेपाल में आए भीषण भूकंप से भी अधिक शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा बना हुआ है.

उन्होंने कहा, "सन् 1505 का नेपाल में कितना भयंकर भूकंप आया था, हमारे पास ये जांचने के लिए कोई उपकरण नहीं है. लेकिन भूकंप के बाद जमीन में जो दरारें और गड्ढे बने थे उससे पता चला कि ज़मीन 20 मीटर तक खिसक गई थी. इसका विश्लेषण करते हुए कहा जाता है कि उस वक्त 8.5 से 8.7 तीव्रता का भूकंप आया था.''

प्रोफेसर आगे कहते हैं कि उस भूकंप का झटका इतना तेज था कि उस वक्त दिल्ली की कुतुब मीनार से लेकर ल्हासा तक नुकसान हुआ था. सन् 1505 के उस भूकंप के बाद सबसे भयावह भूकंप साल 1934 का माना जाता है. 1934 में आए भूकंप का केंद्र नेपाल के चैनपुर में था और भूकंप का असर काठमांडू से लेकर बिहार तक महसूस किया गया था. 

प्रोफेसर उप्रेती कहते हैं, ''अब नेपाल की बात करें तो उस इलाके में भी 500 साल से खतरनाक भूकंपीय ताकत जमा हो रही है वहां 6, 5 और 4 तीव्रता वाले भूकंप का आना एक महासागर से कुछ बूंद पानी निकालने जैसा है."

देश को कैसे रहना चाहिए तैयार

प्रोफेसर आगे कहते हैं कि आने वाले कुछ सालों में पश्चिमी नेपाल और पूर्वी नेपाल में भयानक तबाही वाले भूकंप आ सकते हैं. इसे देखते हुए देश के सरकार और लोगों को इससे बचाने की तैयारियों पर ज़ोर देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ''कोशी से लेकर सिक्किम-दार्जिलिंग तक पिछले 1,300 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. हिमालय में वह जगह जहां उस साल कोई भूकंप नहीं आता, बहुत खतरनाक हो जाती है.”

कहा जाता है कि सन 1255 में पूर्वी नेपाल 8 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया था. ऐसा माना जाता है कि उस वक्त के राजा अभय मल्ल की मौत भी उसी भूकंप में हुई थी. कहना तो ये भी है कि उस भूकंप ने नेपाल का एक तिहाई हिस्सा नष्ट कर दिया था. हालांकि अभी ये अनुमान लगाना सही नहीं है कि बड़ा भूकंप कब आएगा. लेकिन जितना लंबा अंतराल होगा, यह उतना ही शक्तिशाली होगा."

2015 में आया था भयावह भूकंप 

नेपाल में साल 2015 के 25 अप्रैल को स्थानीय समय के मुताबिक 11 बजकर 56 मिनट पर भूकंप आया था. 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि इस आपदा में लगभग 22000 लोग घायल हो गये थे. इस साल हुए भूकंप ने 35 लाख लोगों को बेघर कर दिया था. 

2015 में आए भूकंप का अधिकेंद्र लामजुंग था जो नेपाल से 38 किलोमीटर दूर था. इस भूकंप ने कई प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों को भी अपने अंदर समा लिया था. इससे पहले साल 1934 में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकंप आया था.

2015 में आए भूकंप और उससे मची तबाही के बाद नेपाल सरकार की एक आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि भूकंप के लिहाज से नेपाल दुनिया का 11वां संवेदनशील देश है. 

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