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राममंदिर में स्थापित होने के लिए तैयार हैं रामलला की 3 प्रतिमाएं, बेहद गोपनीय रही पूरी प्रक्रिया; 22 जनवरी को किसी एक का होगा चयन


अयोध्या 
। नवनिर्मित मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा तैयार कर ली गई है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में स्थापित तो कोई एक प्रतिमा होगी, किंतु निर्माण तीन प्रतिमाओं का किया गया है और जो श्रेष्ठतम होगी, उसे राम मंदिर में स्थापित करने के लिए चयनित किया जाएगा। यह तय करना आसान नहीं होगा।

तीनों प्रतिमाएं अति कुशल और प्रतिष्ठित शिल्पियों ने कठिन श्रम-समर्पण एवं एकाग्रता के साथ गढ़ी हैं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शिल्पियों के साथ शिलाओं के भी चुनाव में कई चरण के परीक्षण और व्यापक सजगता-संजीदगी बरती।

इसी वर्ष एक फरवरी को पहली शिला नेपाल की गंडकी नदी से लाई गई। इसकी पात्रता की खूब दावेदारी भी हुई, किंतु यह शिला कसौटी पर खरी नहीं उतर सकी। रामलला की प्रतिमा के लिए उड़ीसा और महाराष्ट्र से भी शिलाएं चुनकर लाई गईं, किंतु विशेषज्ञों की निगरानी में परीक्षण के बाद राजस्थान के मकराना से लाए गए संगमरमर सहित कर्नाटक से लाई गई दो शिलाओं को स्वीकृत किया गया।

कर्नाटक की शिला स्वीकृत किए जाने के पीछे इस शिला की अनेक विशेषताओं के अलावा इसका श्रीराम की तरह श्यामवर्णी होना है। प्रतिमा निर्माण के लिए पहले मानक तय किया गया। इसके लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के शीर्ष चित्रकारों से रामलला के चित्र बनवाए।

ट्रस्ट की ओर से सुझाव दिया गया कि यह चित्र परात्पर ब्रह्म होने की दिव्य-दैवी गरिमा से संपन्न श्रीराम की छवि और जन्मभूमि पर होने वाले पांच वर्षीय बालक की गरिमा के अनुरूप हो। एक दर्जन से अधिक देश के शीर्ष चित्रकारों ने एक से बढ़कर एक चित्र तैयार किए गए, किंतु रामलला की प्रतिमा के लिए दिग्गज चित्रकार वासुदेव कामथ द्वारा निर्मित चित्र स्वीकार किया गया।

इसी चित्र को आधार बनाकर सात माह पूर्व मकराना की शिला से सत्यनारायण पांडेय ने एवं कर्नाटक की श्याम शिला से अरुण योगीराज तथा गणेश भट्ट ने रामलला की प्रतिमा का निर्माण आरंभ किया। यद्यपि निर्माण की पूरी प्रक्रिया से लेकर उसे अंतिम स्पर्श दिए जाने की प्रक्रिया को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पूरी तरह गोपनीय रखा।

यह तो ज्ञात हुआ कि प्रतिमा निर्माण रामघाट स्थित रामसेवकपुरम एवं उसके सामने स्थित विवेक सृष्टि परिसर में किया जा रहा है, किंतु वहां किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। जिन कक्षों में इन प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा था, वहां की हलचल थम गई है और उस पर ताले लटक रहे हैं।

यानी सात माह के सतत श्रम के बाद रामलला की प्रतिमा तैयार कर ली गई है और अब निर्मित तीन प्रतिमाओं में श्रेष्ठतम का चयन होना बाकी है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र के 22 जनवरी को विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी के साथ ट्रस्ट की नजर रामलला की प्रतिमा तैयार करने को भी लेकर थी।

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र कहते हैं, प्रतिमा निर्माण के लिए पहले से ही नवंबर माह की समय सीमा तय की गई थी और अगले माह यानी दिसंबर तक उस प्रतिमा का चयन कर लिया जाएगा, जिसे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा।
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