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सहारनपुर के इस गांव में धूम्रपान व शराब है वर्जित, 500 साल से निभा रहे परंपरा


सरकार को देश मेें सार्वजनिक स्थानों पर ध्रूमपान बंद करने के लिए जहां कानून बनाने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली, वहीं देवबंद क्षेत्र का गांव मिरगपुर इसकी जीती जागती मिसाल बन गया।

बाबा फकीरादास द्वारा करीब 500 साल पहले दिलाई गई तामसिक पदार्थों के त्याग की शपथ को आज भी परंपरा के रूप में निभा रहे हैं। गांव में कोई भी व्यक्ति शराब, लहसुन और मांसाहार आदि पदार्थों का सेवन नहीं करता है। इसी खासियत की वजह से गांव का नाम इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड के बाद एशिया बुक ऑफ रिकाॅर्ड में भी दर्ज हो चुका है।

जोधपुर (राजस्थान) की इंदरपुर रियासत के राजा मस्तुराम और माता चंदौरी के यहां जन्मे बाबा फकीरादास करीब 500 वर्ष पूर्व संगरूर (पंजाब) के घरांचों से होते हुए मिरगपुर आए थे। ग्रामीण बताते हैं कि बाबा ने कुछ समय व्यतीत कर तपस्या की थी। यहां बाबा ने लोगों को बिना बियाई भैंस से दूध निकालना और बिना आग के थोड़ी खीर बनाकर उसे पूरे गांव में बांटने जैसे कई चमत्कार दिखाए थे। इसके बाद प्रभाव में आए ग्रामीणों को बाबा ने प्याज, लहसुन, सिरका, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, होक्का, पान, बंदगोभी, लाल मूली, शलजम, अंडा, शराब, मांस समेत कई चीजों से परहेज करने की शपथ दिलाई थी। इसे परंपरा के रुप में निभाते हुए ग्रामीण आज भी कायम हैं। गांव में किसी भी दुकान पर उक्त चीजे नहीं मिलती हैं।

 

रिश्तेदार भी नहीं करते सेवन, बाबा के प्रति है अटूट आस्था

75 वर्षीय बुजुर्ग चौ. विक्रम सिंह बताते हैं बाबा की शिक्षाएं आज भी ग्रामीण परंपरा के रूप में मानते हैं। यहां तक की रिश्तेदार और अन्य परिचित भी गांव में आकर वर्जित वस्तुओं से परहेज करते हैं।


बाबा की शिक्षाओं पर चलने का लिया है संकल्प

ग्राम प्रधान संतोष देवी ने बताया कि बाबा फकीरादास के नाम से गांव में इंटर कॉलेज और यज्ञशाला बनी है। यज्ञशाला में प्रत्येक माह की दशमी तिथि को यज्ञ का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र होकर यज्ञ में आहुति देकर उनकी शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लेते हैं।

सुबह-शाम होती है आरती

सिद्धकुटी के महंत आनंद दास बताते हैं कि बाबा फकीरादास मुगल सम्राट जहांगीर के शासन काल में मिरगपुर आए थे। उन्होंने ग्रामीणों को जो प्रतिज्ञा दिलाई थी उसका आज भी लोग पालन कर रहे हैं। मंदिर में सुबह शाम होने वाले आरती में बड़ी श्रद्धा के साथ ग्रामीण शामिल होते हैं।

गुर्जर बाहुल्य गांव में एक ही गोत्र के हैं लोग

साधन सहकारी समिति देवबंद के चेयरमैन चौधरी ओमपाल सिंह ने बताया कि गुर्जर बाहुल्य इस गांव की खासियत यह है कि अधिकांश लोग खेतीबाड़ी करते हैं। गांव के लोग सेना व पुलिस में भी अपनी सेवा दे रहे हैं।

गांव में बाबा फकीरादास के हैं दो मंदिर

सहकारी गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन चौधरी प्रविंद्र सिंह बताते हैं कि गांव में बाबा फकीरादास के दो मंदिर स्थित हैं। गांव के बीच में बने मंदिर में बाबा ठहरे थे, लेकिन काली नदी के किनारे गांव के बाहर सिद्धकुटी मंदिर पर बाबा ने तपस्या की थी। 


नहीं दर्ज हुआ नशीले पदार्थों का एक भी केस

प्रभारी निरीक्षक देवबंद सुबे सिंह ने बताया कि इस गांव के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट का मामला कोतवाली में दर्ज नहीं है।


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